हिन्दी साहित्य संगम की सितम्बर माह की कवि-गोष्ठी
दिनाँक 4 सितम्बर , 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन आकाँक्षा विद्यापीठ इण्टर कालेज, मिलन विहार, मुरादाबाद में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माँ शारदे के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया।
गोष्ठी में कवियों ने जहां साहित्यिक विषयों पर अपनी रचनाएं पढ़ी तो समसामयिक विषयों को भी नहीं छोड़ा तथा प्रकृति से सम्बंधित रचनाएं भी पढ़ी।
अपने दोहे में जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा कि- कुछ तो होगा फायदा, सोच रहे थे लोग। पर हमको बहका गया, ये वेतन आयोग।। अपनी रचना में राजीव प्रखर ने
कहा कि- जब हरियाली खी कीमत पर, घर-घर मंगल होता है। कोई न झाने कितने आँसू, पग-पग जंगल रोता है। रामदत्त द्विवेदी ने कहा कि "यदि बनाना है तुम्हे, अपना सिटी स्मार्ट। स्वच्छ करो निज गृह के, आसपास का पार्ट।।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने की। मुख्य अतिथि श्री रामवीर सिंह वीर तथा अति विशिष्ट अतिथि श्री योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि श्री अशोक कुमार विश्नोई रहे। कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र कुमार जौली ने किया तथा सरस्वती वन्दना राजीव प्रखर ने प्रस्तुत की।
इस मौके पर हिन्दी साहित्य संगम के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी, प्रदीप शर्मा, शिशुपाल मधुकर, राकेश चक्र, विकास मुरादाबादी, ओंकार सिंह ओंकार, योगेन्द्र वर्मा व्योम, पदम सिंह बेचैन, आशु मुरादाबादी, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ , हेमा तिवारी भट्ट, योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई आदि कवियों ने आपनी सुन्दर-सुन्दर रचनाएं पढ़ी।
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