शुक्रवार, 26 अगस्त 2016



हिन्दी साहित्य संगम की सितम्बर माह की कवि-गोष्ठी 

    दिनाँक  4 सितम्बर , 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन आकाँक्षा विद्यापीठ इण्टर कालेज, मिलन विहार, मुरादाबाद में किया गया। कार्यक्रम  का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माँ शारदे के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। 



     गोष्ठी में कवियों ने जहां साहित्यिक विषयों पर अपनी रचनाएं पढ़ी तो समसामयिक विषयों को भी नहीं छोड़ा तथा प्रकृति से सम्बंधित रचनाएं भी पढ़ी। 

     अपने दोहे में जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा कि- कुछ तो होगा फायदा, सोच रहे थे लोग। पर हमको बहका गया, ये वेतन आयोग।। अपनी रचना में राजीव प्रखर  ने
कहा कि- जब हरियाली खी कीमत पर, घर-घर मंगल होता है। कोई न झाने कितने आँसू, पग-पग जंगल रोता है। रामदत्त द्विवेदी  ने कहा कि "यदि बनाना है तुम्हे, अपना सिटी स्मार्ट। स्वच्छ करो निज गृह के, आसपास का पार्ट।। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने की। मुख्य अतिथि  श्री रामवीर सिंह वीर तथा अति विशिष्ट अतिथि श्री योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि श्री अशोक कुमार विश्नोई रहे।  कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र कुमार जौली ने किया तथा सरस्वती वन्दना राजीव प्रखर ने प्रस्तुत की।

   इस मौके पर हिन्दी साहित्य संगम के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी, प्रदीप शर्मा,  शिशुपाल मधुकर, राकेश चक्र, विकास मुरादाबादी, ओंकार सिंह ओंकार, योगेन्द्र वर्मा व्योम, पदम सिंह बेचैन, आशु मुरादाबादी, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ , हेमा तिवारी भट्ट, योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई आदि कवियों ने आपनी सुन्दर-सुन्दर रचनाएं पढ़ी।




हिन्दी साहित्य संगम की कार्यकारिणी की बैठक

             दिनाँक  15 अगस्त, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की कार्यकारिणी समिति की बैठक सनातन धर्म मिलन धर्मशाला, मिलन विहार, मुरादाबाद में आयोजित की गई।

             बैठक में सर्वसम्मति से जितेन्द्र कुमार जौली को संस्था का महासचिव, राजीव 'प्रखर को कार्यकारी महासचिव और आनन्द कुमार गौरव को सदस्य संरक्षक समिति बनाया गया।


              इसके बाद हिन्दी दिवस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई । संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने बताया कि इस बार भी गत वर्षों की भांति हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया जाएगा, जिसमे काव्य-गोष्ठी, विचार-गोष्ठी और सम्मान तीनो कार्यक्रम होंगे।

              बैठक में सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि इस वर्ष हिन्दी दिवस के अवसर पर बाल साहित्य के क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाले मुरादाबाद के विख्यात साहित्यकार डाॅ० राजीव सक्सेना जी को सम्मानित किया जाएगा। उन्हे सम्मान स्वरूप मानपत्र, प्रतीक चिन्ह अंग-वस्त्र आदि भेंट किए जाएंगे।

              बैठक की अध्यक्षता श्री रामदत्त द्विवेदी ने की तथा संचालन श्री योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया। बैठक में अम्बरीष गर्ग, जितेन्द्र कुमार जौली, राजीव प्रखर, प्रदीप शर्मा, विकास मुरादाबादी, ओंकार सिंह ओंकार, के.पी. सिंह सरल, राम सिंह निःशंक, यू.पी. सक्सेना अस्त आदि लोग उपस्थित रहे।


हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी 

    दिनाँक  7 अगस्त, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन आकाँक्षा विद्यापीठ इण्टर कालेज, मिलन विहार, मुरादाबाद में किया गया। कार्यक्रम  का शुभारम्भ श्री वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी द्वारा सरस्वती वंदना कर तथा माता सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। 



    कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने की। मुख्य अतिथि  श्री राकेश चक्र तथा विशिष्ट अतिथि श्री रामसिंह निःशंक रहे।  कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। गोष्ठी में कवियों ने जहां साहित्यिक विषयों पर अपनी रचनाएं पढ़ी समसामयिक विषयों को भी नहीं छोड़ा तथा प्रकृति से सम्बंधित रचनाएं भी पढ़ी। 

     अपनी रचना में जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा कि- गौ रक्षक के देखिए , कितने उच्च विचार। जो भी काटे गाय को, तुम उसको दो मार।। अपनी रचना में वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी ने कहा कि- ‘‘खादी-खाकी आज खो रही दुनियां में अपनी पहचान, मानव से दानव होने का करा रही दुनियां को मान’’  डा. राकेश चक्र ने कहा कि- माँ मूरत प्रेम की, शतिल छांव समीर। खुद पीरों को सह गयी, है गंगा का नीर।। राजीव प्रखर ने कहा कि - कान्हा बोले यूं मैया से, क्यूं
कलियुग में जाऊं मैं । जो माखन अब नहीं है असली काहे भोग लगाऊं मैं।। 

   इस मौके पर हिन्दी साहित्य संगम के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी, राम सिंह नि:शंक, ओंकार सिंह ओंकार, योगेन्द्र वर्मा व्योम, केपी सिंह सरल, पदम सिंह यादव, आशु मुरादाबादी, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ , हेमा तिवारी भट्टा, योगेन्द्र पाल सिंह, प्रदीप शर्मा आदि कवियों ने आपनी सुन्दर-सुन्दर रचनाएं पढ़ी।

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी 

दिनाँक 3 जुलाई, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की ओर से आकाँक्षा विद्यापीठ मिलन विहार, मुरादाबाद में मासिक कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण तथा के0पी0 सिंह 'सरल' द्वारा सरस्वती वन्दना प्रस्तुत करके की गई। इसके बाद रचनाकारों ने काव्यपाठ द्वारा समाज की समस्याओ पर विचार व्यक्त किये।



                कार्यक्रम मे रामदत्त द्विवेदी, के.पी. सिंह सरल, संजीव आकाँक्षी, जितेन्द्र कुमार जौली,  रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, अम्बरीष गर्ग, राजीव प्रखर, रामदत्त द्विवेदी आदि ने काव्यपाठ किया। 

               कार्यक्रम की अध्यक्षता रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने की। मुख्य अतिथि श्री संजीव आकांक्षी तथा विशिष्ट अतिथि अम्बरीष गर्ग रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। कार्यक्रम के अन्त में संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने आभार व्यक्त किया।


गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' का किया गया लोकार्पण

साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' एवं 'हिन्दी साहित्य संगम' के संयुक्त तत्वावधान में 5 जून 2016 को सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के समकालीन गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' का लोकार्पण-समारोह मुरादाबाद में मिलन विहार दिल्ली रोड स्थित आकांक्षा इण्टर कॉलेज, के सभागार में संपन्न हुआ l इस अवसर पर एक भव्य काव्य-गोष्ठी का भी आयोजन किया गया l 



कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ कवि श्री वीरेन्द्र सिंह 'बृजवासी' द्वारा प्रस्तुत  सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री माहेश्वर तिवारी ने कहा कि "व्योम के नवगीतों की भाषा इतनी सहज, सरल और बोधगम्य है कि पाठक को शब्दकोश तक जाने की ज़रूरत महसूस नहीं होती। निश्चित रूप से संग्रह 'रिश्ते बने रहें' की रचनाएँ आमजन और कविता के बीच के क्षत-विक्षत पुल की मरम्मत कर उसे आवाजाही के लिए सुगम बनायेंगी।"  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री बृजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' ने लोकार्पित कृति 'रिश्ते बने रहें' के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "संग्रह के नवगीत किसी बौद्धिक प्रचंडता की दादागीरी न होकर कसकती संवेदना के भावनात्मक संवाद हैं जो हृदय से निकलकर हृदय तक जाते हैं। संग्रह के नवगीतों में प्रतीक और बिम्ब बिल्कुल नए और अनछुए हैं।" विशिष्ट अतिथि  डॉ. अजय 'अनुपम' ने कहा कि "गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' ऐसे भावप्रवण यथार्थ के संवेदनाजन्य समकालीन गीतों का संकलन है जहाँ कड़वे सच को भी भाषा की मीठी चाशनी में पगाकर प्रस्तुत किया गया है।" विशिष्ट अतिथि श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने कहा कि "आज के बाजारवाद और तकनीकी रूप से विकसित समय में सबसे अधिक क्षति रिश्तों के धरातल पर ही हुई है, संयुक्त परिवारों की परंपरा कहीं खो गई है और लोग अपनी निजता को प्रमुखता दे रहे हैं। ऐसे विद्रूप समय में कृति 'रिश्ते बने रहें' एक ताज़गी भरी उम्मीद जगाती है।" वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक विश्नोई, डॉ. कृष्ण कुमार 'नाज़' एवं युवाकवि अंकित गुप्ता 'अंक' ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए l 
इस अवसर पर लोकार्पित कृति के रचनाकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने काव्यपाठ करते हुए कहा- "चलो करें/कुछ कोशिश ऐसी/रिश्ते बने रहें। रिश्ते जिनसे/सीखी हमने/बोली बचपन की। संबंधों की/परिभाषाएँ/भाषा जीवन की। कुछ भी हो/ ये अपनेपन के/ रस में सने रहें।" तथा एक और नवगीत प्रस्तुत किया- "छोटा बच्चा/पूछ रहा है/कल के बारे में। अन्तर्धान/हुए थाली से/रोटी-दाल सभी। कहीं खो गए हैं/जीवन के/सुर-लय-ताल सभी। लगता ढूंढ रहे/आशाएँ/ज्यों इकतारे में।" कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ कवि श्री विवेक 'निर्मल' ने किया । आभार अभिव्यक्ति हिन्दी साहित्य  संगम संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने प्रस्तुत की।
 कार्यक्रम में स्थानीय साहित्यकार सर्वश्री डॉ. आर.सी.शुक्ला, मनोज 'मनु', प्रदीप शर्मा, राजीव 'प्रखर', जितेन्द्र कुमार जौली, रामवीर सिंह 'वीर', यशपाल सिंह 'खामोश', विकास मुरादाबादी, राम सिंह 'निशंक', श्रेष्ठ वर्मा, प्रवीन कुमार, परशुराम 'नयाकबीर', योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई, सतीश 'फिगार', ज़िया ज़मीर, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, के.पी.सरल, योगेन्द्र रस्तोगी, शबाव मैनाठेरी, शिशुपाल मधुकर आदि उपस्थित रहे।



'चन्दन वन सँवरें' का किया गया लोकार्पण


दिनांक 3 जनवरी, 2016 को मुरादाबाद की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था 'हिन्दी साहित्य संगम' के तत्वावधान में मिलन विहार दिल्ली रोड स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कालेज के सभागार में लोकार्पण समारोह एवं काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें हिन्दी गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर श्री ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' के सद्य: प्रकाशित गीत-नवगीत संग्रह "चंदन वन सँवरें" का गरिमामय लोकार्पण सम्पन्न हुआ।



चन्दन वन सँवरें का  लोकार्पण करते हुए साहित्यकार

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' ने की, मुख्य अतिथि श्री योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई तथा विशिष्ट अतिथि श्री अशोक विश्नोई रहे। कार्यक्रम का संचालन योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने किया तथा आभार अभिव्यक्ति संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में जितेन्द्र कुमार जौली, राजीव प्रखर, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, राकेश चक्र, अवनीश सिंह चौहान, विकास मुरादाबादी, प्रदीप शर्मा, के.पी. सिंह सरल, रामसिंह निःशंक, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, फक्कड़ मुरादाबादी, विवेक निर्मल आदि ने काव्यपाठ भी किया।

बुधवार, 17 अगस्त 2016

हिन्दी दिवस पर किया जाएगा डाॅ. राजीव सक्सेना को सम्मानित


हिन्दी साहित्य संगम की कार्यकारिणी की बैठक

             दिनाँक  15 अगस्त, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की कार्यकारिणी समिति की बैठक सनातन धर्म मिलन धर्मशाला, मिलन विहार, मुरादाबाद में आयोजित की गई।

             बैठक में सर्वसम्मति से जितेन्द्र कुमार जौली को संस्था का महासचिव, राजीव 'प्रखर को कार्यकारी महासचिव और आनन्द कुमार गौरव को सदस्य संरक्षक समिति बनाया गया।


              इसके बाद हिन्दी दिवस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई । संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने बताया कि इस बार भी गत वर्षों की भांति हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया जाएगा, जिसमे काव्य-गोष्ठी, विचार-गोष्ठी और सम्मान तीनो कार्यक्रम होंगे।

              बैठक में सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि इस वर्ष हिन्दी दिवस के अवसर पर बाल साहित्य के क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाले मुरादाबाद के विख्यात साहित्यकार डाॅ० राजीव सक्सेना जी को सम्मानित किया जाएगा। उन्हे सम्मान स्वरूप मानपत्र, प्रतीक चिन्ह अंग-वस्त्र आदि भेंट किए जाएंगे।

              बैठक की अध्यक्षता श्री रामदत्त द्विवेदी ने की तथा संचालन श्री योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया। बैठक में अम्बरीष गर्ग, जितेन्द्र कुमार जौली, राजीव प्रखर, प्रदीप शर्मा, विकास मुरादाबादी, ओंकार सिंह ओंकार, के.पी. सिंह सरल, राम सिंह निःशंक, यू.पी. सक्सेना अस्त आदि लोग उपस्थित रहे।

हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी 

हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी 

    दिनाँक  7 अगस्त, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन आकाँक्षा विद्यापीठ इण्टर कालेज, मिलन विहार, मुरादाबाद में किया गया। कार्यक्रम  का शुभारम्भ श्री वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी द्वारा सरस्वती वंदना कर तथा माता सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। 



    कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने की। मुख्य अतिथि  श्री राकेश चक्र तथा विशिष्ट अतिथि श्री रामसिंह निःशंक रहे।  कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। गोष्ठी में कवियों ने जहां साहित्यिक विषयों पर अपनी रचनाएं पढ़ी समसामयिक विषयों को भी नहीं छोड़ा तथा प्रकृति से सम्बंधित रचनाएं भी पढ़ी। 

     अपनी रचना में जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा कि- गौ रक्षक के देखिए , कितने उच्च विचार। जो भी काटे गाय को, तुम उसको दो मार।। अपनी रचना में वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी ने कहा कि- ‘‘खादी-खाकी आज खो रही दुनियां में अपनी पहचान, मानव से दानव होने का करा रही दुनियां को मान’’  डा. राकेश चक्र ने कहा कि- माँ मूरत प्रेम की, शतिल छांव समीर। खुद पीरों को सह गयी, है गंगा का नीर।। राजीव प्रखर ने कहा कि - कान्हा बोले यूं मैया से, क्यूं
कलियुग में जाऊं मैं । जो माखन अब नहीं है असली काहे भोग लगाऊं मैं।। 

   इस मौके पर हिन्दी साहित्य संगम के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी, राम सिंह नि:शंक, ओंकार सिंह ओंकार, योगेन्द्र वर्मा व्योम, केपी सिंह सरल, पदम सिंह यादव, आशु मुरादाबादी, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ , हेमा तिवारी भट्टा, योगेन्द्र पाल सिंह, प्रदीप शर्मा आदि कवियों ने आपनी सुन्दर-सुन्दर रचनाएं पढ़ी।

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी 

हिन्दी साहित्य संगम की कवि गोष्ठी 

दिनाँक 3 जुलाई, 2016 को हिन्दी साहित्य संगम की ओर से आकाँक्षा विद्यापीठ मिलन विहार, मुरादाबाद में मासिक कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण तथा के0पी0 सिंह 'सरल' द्वारा सरस्वती वन्दना प्रस्तुत करके की गई। इसके बाद रचनाकारों ने काव्यपाठ द्वारा समाज की समस्याओ पर विचार व्यक्त किये।



                कार्यक्रम मे रामदत्त द्विवेदी, के.पी. सिंह सरल, संजीव आकाँक्षी, जितेन्द्र कुमार जौली,  रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, अम्बरीष गर्ग, राजीव प्रखर, रामदत्त द्विवेदी आदि ने काव्यपाठ किया। 

               कार्यक्रम की अध्यक्षता रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने की। मुख्य अतिथि श्री संजीव आकांक्षी तथा विशिष्ट अतिथि अम्बरीष गर्ग रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। कार्यक्रम के अन्त में संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने आभार व्यक्त किया।

गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' का किया गया लोकार्पण

गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' का किया गया लोकार्पण

साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' एवं 'हिन्दी साहित्य संगम' के संयुक्त तत्वावधान में 5 जून 2016 को सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के समकालीन गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' का लोकार्पण-समारोह मुरादाबाद में मिलन विहार दिल्ली रोड स्थित आकांक्षा इण्टर कॉलेज, के सभागार में संपन्न हुआ l इस अवसर पर एक भव्य काव्य-गोष्ठी का भी आयोजन किया गया l 



कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ कवि श्री वीरेन्द्र सिंह 'बृजवासी' द्वारा प्रस्तुत  सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री माहेश्वर तिवारी ने कहा कि "व्योम के नवगीतों की भाषा इतनी सहज, सरल और बोधगम्य है कि पाठक को शब्दकोश तक जाने की ज़रूरत महसूस नहीं होती। निश्चित रूप से संग्रह 'रिश्ते बने रहें' की रचनाएँ आमजन और कविता के बीच के क्षत-विक्षत पुल की मरम्मत कर उसे आवाजाही के लिए सुगम बनायेंगी।"  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री बृजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' ने लोकार्पित कृति 'रिश्ते बने रहें' के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "संग्रह के नवगीत किसी बौद्धिक प्रचंडता की दादागीरी न होकर कसकती संवेदना के भावनात्मक संवाद हैं जो हृदय से निकलकर हृदय तक जाते हैं। संग्रह के नवगीतों में प्रतीक और बिम्ब बिल्कुल नए और अनछुए हैं।" विशिष्ट अतिथि  डॉ. अजय 'अनुपम' ने कहा कि "गीत-संग्रह 'रिश्ते बने रहें' ऐसे भावप्रवण यथार्थ के संवेदनाजन्य समकालीन गीतों का संकलन है जहाँ कड़वे सच को भी भाषा की मीठी चाशनी में पगाकर प्रस्तुत किया गया है।" विशिष्ट अतिथि श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने कहा कि "आज के बाजारवाद और तकनीकी रूप से विकसित समय में सबसे अधिक क्षति रिश्तों के धरातल पर ही हुई है, संयुक्त परिवारों की परंपरा कहीं खो गई है और लोग अपनी निजता को प्रमुखता दे रहे हैं। ऐसे विद्रूप समय में कृति 'रिश्ते बने रहें' एक ताज़गी भरी उम्मीद जगाती है।" वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक विश्नोई, डॉ. कृष्ण कुमार 'नाज़' एवं युवाकवि अंकित गुप्ता 'अंक' ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए l 
इस अवसर पर लोकार्पित कृति के रचनाकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने काव्यपाठ करते हुए कहा- "चलो करें/कुछ कोशिश ऐसी/रिश्ते बने रहें। रिश्ते जिनसे/सीखी हमने/बोली बचपन की। संबंधों की/परिभाषाएँ/भाषा जीवन की। कुछ भी हो/ ये अपनेपन के/ रस में सने रहें।" तथा एक और नवगीत प्रस्तुत किया- "छोटा बच्चा/पूछ रहा है/कल के बारे में। अन्तर्धान/हुए थाली से/रोटी-दाल सभी। कहीं खो गए हैं/जीवन के/सुर-लय-ताल सभी। लगता ढूंढ रहे/आशाएँ/ज्यों इकतारे में।" कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ कवि श्री विवेक 'निर्मल' ने किया । आभार अभिव्यक्ति हिन्दी साहित्य  संगम संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने प्रस्तुत की।
 कार्यक्रम में स्थानीय साहित्यकार सर्वश्री डॉ. आर.सी.शुक्ला, मनोज 'मनु', प्रदीप शर्मा, राजीव 'प्रखर', जितेन्द्र कुमार जौली, रामवीर सिंह 'वीर', यशपाल सिंह 'खामोश', विकास मुरादाबादी, राम सिंह 'निशंक', श्रेष्ठ वर्मा, प्रवीन कुमार, परशुराम 'नयाकबीर', योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई, सतीश 'फिगार', ज़िया ज़मीर, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, के.पी.सरल, योगेन्द्र रस्तोगी, शबाव मैनाठेरी, शिशुपाल मधुकर आदि उपस्थित रहे।